श्री गोवर्धन विद्या विहार (SGVV) राजस्थान में डूंगरपुर जिले के खडगदा गॉव में मोरन नदी के तट पर स्थित है। डूंगरपुर, राजस्थान श्री गोवर्द्धन विद्या विहार की स्थापना से पूर्व आस पास के क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कोई संस्था या स्कूल नहीं था। लोगों को पढ़ाई के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी जो असुविधाजनक होने के साथ-साथ असहनीय भी थी। परिणाम स्वरूप यह क्षेत्र शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा बना रहा। इस संस्था के संस्थापक पं. नंदलालजी दीक्षित बचपन से ही संत, सदृश्य और परोपकारी रहे हैं। आस-पास के लोगों की बदहाली देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। अपनी बुनियादी शिक्षा हासिल करने के लिए उन्हें खुद बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा उन्होंने दृढ़ता से महसूस किया और खडगदा में एक स्कूल बनाने का सपना देखा। लेकिन संसाधन नहीं थे। वे केवल ईश्वर से प्रार्थना कर सकते थे कि वह उन्हें लोगों की सेवा करने के अपने सपने को साकार करने की शक्ति दे।
श्री गोवर्द्धन विद्या विहार का बीजरोपण 1933 में केवल 10 छात्रों ,वं 103 रु- के वार्षिक बजट के साथ के साथ किराए के कमरे में संस्कृत पाठशाला शुरू करने के एक अथक प्रयास से हुआ। आज वह छोटा बीज श्री गोवर्द्धन विद्या विहार (SGVV) के रूप में एक बड़े वटवृक्ष में फलित हुआ है, जिसमें विभिन्न संस्थानों और गतिविधियों को शामिल किया गया है और जिसका एक करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक बजट है।
श्री गोवर्द्धन विद्या विहार एक चौरिटेबल ट्रस्ट है जिसका प्रबंधन न्यासी मंडल द्वारा किया जाता है। कई प्रसिद्ध हस्तियां ट्रस्टी के बोर्ड में हैं या संरक्षक हैं। यह शैक्षिक गतिविधियों के अलावा कई सामाजिक, धर्मार्थ और आध्यात्मिक गतिविधियों को चला रहा है। यह संस्कृत विद्यालय के बहुत गरीब और जरूरतमंद छात्रों को भोजन, व आवास सहित मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है। SGVV को राष्ट्रीय श्रेष्ठता संस्थान (National Eminence ) के रूप में मान्यता प्राप्त है। SGVV इस मायने में एक अनूठी संस्था है कि यह संस्कृत और संस्कृति के प्रति रुचि को बनाए रखते हुए सबसे सस्ती कीमत पर सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करती है। पाठ्यक्रम के अलावा छात्रों को जीवन में अनुशासन और मूल्यों के लिए तैयार किया जाता है ताकि प्रदान की जाने वाली शिक्षा वास्तव में एसजीवीवी के आदर्श वाक्य ’’सा विद्या या विमुक्तये’’ के अनुरूप हो।